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उर्जाधानी की लचर बिजली व्यवस्था से राजस्व मंत्री की नाराजगी, कंपनी के एमडी पहुँचे कोरबा

कोरबा। राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने जिले की चरमराई विद्युत वितरण व्यवस्था का मुद्दा केबिनेट की बैठक में पिछले दिनों रखा था। इस दौरान उर्जा विभाग के मुख्य सचिव अंकित आनंद भी उपस्थित थे। मंत्री अग्रवाल की नाराजगी को देखते हुए विद्युत वितरण कंपनी के प्रबंध निदेशक मनोज खरे शुक्रवार को कोरबा पहुंचे। यहां कहा कि सर्वे कर रिपोर्ट तैयार करें अधिकारियों की बैठक लेकर उन्होंने और चरणबद्ध कार्य किया जाए। फंड में किसकी तरह की कमी नहीं होने दी जाएगी। जगह- जगह पाइंट बना कर कनेक्शन को बांटा जाए, ताकि ज्यादा लोड न बढ़े।

मंत्री जयसिंह ने केबिनेट की बैठक के पहले भी विद्युत वितरण कंपनी को प्रबंध निदेशक को पत्र लिख कर कहा था कि कोरबा में हो रहे बिजली उत्पादन से देश के कई राज्य रौशन
होते हैं, बावजूद इसके क्षेत्र में ज्यादा समस्या आ रही है।

दुर्भाग्य की बात है कि कोरबावासियों को निर्बाध बिजली
की आपूर्ति सुनिश्चित नहीं हो पा रही है। इस दिशा में ठोस कार्रवाई करने की जरूरत है। कोरबा में आए दिन
किसी न किसी समस्या के चलते लंबे समय तक बिजली कटौती होती रहती है। इससे व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के साथ ही अनेक लघु उत्पादन इकाइयों, विद्यार्थियों और आम नागरिकों को काफी असुविधा का सामना करना पड़ता है। साथ ही काफी नुकसान भी उठाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि
कोरबा अंचल में आए दिन की जा रही बिजली कटौती से आम नागरिकों में भारी आक्रोश व्याप्त है। जिसे तत्काल
सुधारने की आवश्यकता है। यदि कोरबा अंचल के लिए निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने की दिशा मे आ रही कठिनाइयों को दूर करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते
हैं। तो जनाक्रोश कभी भी विस्फोटक, रूप लेकर जन आंदोलन में परिवर्तित हो सकता है। मंत्री जयसिंह की
शिकायत को गंभीरता से लेते हुए उर्जा विभाग के मुख्य सचिव अंकित आनंद ने गंभीरता से लेते हुए वितरण कंपनी
के प्रबंध निदेशक (एमडी) मनोज खरे को कोरबा में जाकर स्थिति का जायजा लेने कहा। ट्रांसपोर्ट नगर में तुलसीनगर
स्थित अधीक्षण यंत्री कार्यालय में एमडीखरे ने अधिकारियों की बैठक ली। इस दौरान उन्होंने शहर की व्यवस्था के संबंध में आवश्यक जानकारी ली एवं बार- बार आ रही खराबी को दुरूस्त करने के लिए आवश्यक निर्देश दिया। एमडी ने कहा कि आगामी कार्य योजना तैयार कर रिपोर्ट प्रस्तुत किया जाएगा, जरूरत के अनुसार प्राथमिकता से काम किया जाएं। फंड की जरूरत होगी, तो उपलब्ध कराया जाएगा, ताकि कार्य में किसी तरह की बाधा उत्पन्न न हो। उन्होंने कहा कि पेड़ की
छंटाई कराई जाए, ताकि वर्षा काल में लाइन में बाधा उत्पन्न न हो। 15 दिन में व्यवस्था को दुरूस्त किया, इसके बाद पुनः समीक्षा की जाएगी। इस मौके पर मुख्य अभिंयता एके घर, अधीक्षण यंत्री एसएल सिदार समेत सर्किल में पदस्थ सभी कार्यपालन यंत्री, सहायक यंत्री व अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। यहां बताना होगा कि शहर में बिजली इतनी व्यवस्था इतनी चरमरा गई है कि एक पखवाड़ा में 125 से अधिक बार
विभिन्न कारणों से बिजली आपूर्ति बंद हो चुकी है और कई घंटे तक लोगों को अंधेरे में रहना पड़ा है।

 

 

लगातार होगी निगरानी :

एमडी ने बैठक में ककह कि प्राथमिकता के आधार पर काम किया जाए। जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त श्रम शक्ति भी प्रदान किया। कुछ अधिकारियों की पदस्थापना पर भी उन्होंने स्वीकृति प्रदान की। एमडी खरे ने कहा कि शहर की व्यवस्था
दुरुस्त कराने किए जा रहे कार्य की लगातार निगरानी की जाएगी। इसके लिए उन्होंने मुख्य अभियंता को अधिकृत
किया और उन्हें समय- समय पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने कहा। बैठक में यह बात सामने आई कि कई स्थानों पर लगे पाइंट (जक्शन बाक्स) में ज्यादा कनेक्शन होने की वजह से खराबी
आ रही है। इस पर एमडी ने कहा कि केबल लाइन हो या फिर ओपन लाइन दोनों को छोटे- छोटे भाग में बांटा जाए। इस बात पर विशेष ध्यान दिया जाए कि एक पाइंट में ज्यादा लोड न पड़े। इससे अप्रिय स्थिति से निपटा जा सकता है। उन्होंने कहा कि जहां नए ट्रांसफार्मर लगाने की जरूरत है, वहां ट्रांसफार्मर
लगाया जाए। साथ ही कनेक्शन को बराबर हिस्सों में बांटा जाए। शहर के मुख्य मार्ग को वायर फ्री जोन घोषित किया गया है। इसलिए केबल सिस्टम से बिजली आपूर्ति की गई
है। बताया जा रहा है कि यहां वितरण विभाग ने पाइंट बना कर रखा है और प्रतिष्ठानों में बिजली आपूर्ति रही है। व्यवसायियों द्वारा अपने दुकान के आसपास पाइंट नहीं बनाने से एक
ही स्थान से क्षमता से ज्यादा कनेक्शन जोड़ दिए गए हैं। वितरण विभाग के अधिकारियों ने इसकी जानकारी प्रशासन
को भी उपलब्ध कराई है। वही एमडी के साथ बैठक में भी इस बिंदु को रखा गया। इस पर उन्होंने कहा कि जहां जरूरत
होगी, वहां खंभा लगा कर तार खींचा जाए और अलग- अलग कनेक्शन दें। एमडी ने अधिकारियों को निर्देश दिया हैं कि कार्य में गंभीरता बरतें। सीधे उच्च स्तर से निगरानी होगी।

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